प्रश्न – लॉर्ड डलहौजी आधुनिक भारत का निर्माता था। स्पष्ट कीजिए। [UPSC, 2013]
उत्तर – लॉर्ड डलहौजी का काल महज साम्राज्यवादी प्रसार के लिए ही नहीं बल्कि अनेक प्रशासनिक सुधारों के लिए भी जाना जाता है। यद्यपि डलहौजी के सुधार एक व्यापक औपनिवेशिक हित से प्रेरित रहे थे एवं उनका उद्देश्य ब्रिटिश औद्यौगिक पूंजीवाद के हित मे भारत का विकास ब्रिटिश वस्तुओं के बाजार के रूप मे करना रहा था। परंतु इसका दूरगामी लाभ भारत को भी मिला।
सुधार के क्रम मे लॉर्ड डलहौजी ने निम्नलिखित कदम उठाए –
- डलहौजी ने रेलवे निर्माण की पहल की। रेलवे के माध्यम से भारत की भौगोलिक दूरी कम हो गई। लोगों मे विचारों का आदान-प्रदान हुआ जिससे उनके भीतर राष्ट्रीय चेतन की भावना जागृत हुई।
- डलहौजी ने एक उन्नत संचार व्यवस्था के रूप में टेलीग्राफ के निर्माण की पहल की। टेलीग्राफ के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों से लोगों के बीच बेहतर संवाद स्थापित हो सका।
- डलहौजी ने सार्वजनिक निर्माण विभाग की स्थापना कर सड़कों एवं नहरों के निर्माण को प्रोत्साहन दिया। जिससे विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के मध्य सामंजस्य स्थापित हुआ।
- इतना ही नहीं डलहौजी के काल मे शिक्षा को प्रोत्साहन मिला। उदाहरण के लिए 1853 मे टॉमशनियन शिक्षा पद्धति आई इसमे देशी भाषा पर शिक्षा पर बल दिया गया। 1854 मे वुड्स डिस्पैच पद्धति आई। इसे भारतीय शिक्षा का मैग्नाकर्ता कहा जाता है।
लॉर्ड डलहौजी के सुधारों ने भारत मे एक अनजान उत्प्रेरक की भूमिका निभाई और भारत को आधुनिकीकरण की दिशा मे मोड़ दिया। अतः हम कह सकते है कि लॉर्ड डलहौजी आधुनिक भारत का निर्माता था।
महत्वपूर्ण शब्दावली
वुड्स डिस्पैच
मैकाले शिक्षा पद्धति जिसे विप्रेषण का सिद्धांत (Downward filtration theory) कहा जाता है भारत मे यह पद्धति असफल रही। इसने भारत मे अशिक्षित लोगों की संख्या बढ़ा दी। 1854 मे लॉर्ड डलहौजी के काल मे चार्ल्स वुड के सुझाव से शिक्षा पर एक नया कार्यक्रम आया जिसे वुड्स डिस्पैच (Wood’s dispatch) कहा गया। इसने विप्रवेशन के सिद्धांत को अस्वीकार कर दिया। तथा तीन स्तरों मे शिक्षा प्रदान करने का सुझाव दिया। इसमे प्राथमिक शिक्षा भारत की देशी भाषा मे, माध्यमिक शिक्षा देशी एवं अंग्रेजी भाषा तथा उच्च शिक्षा अंग्रेजी भाषा मे देने का सुझाव दिया गया।